EN اردو
हिज्र का दिन है ये गुज़रने दे | शाही शायरी
hijr ka din hai ye guzarne de

ग़ज़ल

हिज्र का दिन है ये गुज़रने दे

ओवैस उल हसन खान

;

हिज्र का दिन है ये गुज़रने दे
ऐ ग़म-ए-यार शाम ढलने दे

उम्र थोड़ी है प्यास सदियों की
शबनमी रुत सकूँ से मरने दे

उस ने माँगा है मुझ से इक तोहफ़ा
अब तो जाँ ही ये नज़्र करने दे

हो जो मुमकिन तो अब्र बरसा दे
हिद्दत-ए-ग़म में वर्ना जलने दे

जज़्बा-ए-शौक़ लो भी देगा उसे
पैकर-ए-सब्र में तो ढलने दे

कोई लम्हा तो हो सख़ी ऐसा
कासा-ए-दीद को जो भरने दे

फिर उवैस-उल-हसन मैं ये चाहूँ
ज़िंदगी बाम से उतरने दे