हज़ारों ग़म हैं इस मंज़िल में मंज़िल देखने वाले
कलेजा थाम ले अपना मिरा दिल देखने वाले
ये दिल वालों को ता'लीम-ए-सुजूद पा-ए-जानाँ है
सर-ए-हर-मौज को बरपा-ए-साहिल देखने वाले
हर इक ज़र्रे में पोशीदा है इक तुग़्यान-ए-मदहोशी
सँभल कर देखना पैमाना-ए-दिल देखने वाले
मिटाता जा रहा हूँ नक़्श-ए-पा सहरा-नवर्दी में
कहाँ ढूँडेंगे मुझ को मेरी मंज़िल देखने वाले
तेरे दिल में हज़ारों महफ़िलें जल्वों की पिन्हाँ हैं
फ़लक पर अंजुम-ए-ताबाँ की महफ़िल देखने वाले
फ़िशार-ए-ज़ब्त से लैला कहीं मजनूँ न हो जाए
न देख अब सू-ए-महमिल सू-ए-महमिल देखने वाले
किसी का अक्स हूँ 'एहसान' मुराआत-ए-हक़ीक़त में
मुझे समझेंगे क्या तस्वीर-ए-बातिल देखने वाले
ग़ज़ल
हज़ारों ग़म हैं इस मंज़िल में मंज़िल देखने वाले
एहसान दानिश