हर-सू उस का चर्चा होने वाला है
मौसम फिर से उजला होने वाला है
बोलेगा औक़ात से बढ़ कर वो शायद
क़द से साया ऊँचे होने वाला है
बात उमूमन करता रहता है सच की
जल्दी ही वो तन्हा होने वाला है
नाम पे मज़हब के जमघट है लोगों का
शहर में शायद दंगा होने वाला है
हम भी पहुँचें ले कर अपनी ख़ामोशी
आवाज़ों का सौदा होने वाला है
इतना रोया हूँ मैं उस की यादों में
सारा पानी खारा होने वाला है
हँस के देखा है उस ने मेरी जानिब
'शोख़' मरज़ अब अच्छा होने वाला है
ग़ज़ल
हर-सू उस का चर्चा होने वाला है
परविंदर शोख़