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हर मौक़े की हर रिश्ते की ढेर निशानी उस के पास | शाही शायरी
har mauqe ki har rishte ki Dher nishani uske pas

ग़ज़ल

हर मौक़े की हर रिश्ते की ढेर निशानी उस के पास

प्रताप सोमवंशी

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हर मौक़े की हर रिश्ते की ढेर निशानी उस के पास
एल्बम के हर इक फोटो की एक कहानी उस के पास

शहर वो साहूकार है जिस को कोस रहा है हर कोई
ये सच भी सब को मालूम है दाना-पानी उस के पास

अम्माँ की बातों में आँखें सुख-दुख सपने सब तो हैं
राम-कहानी उस के पास कबिरा-बानी उस के पास

कई ख़ज़ाने क़िस्से वाले इक बच्चे के पास मिले
दादा दादी उस के पास नाना नानी उस के पास

सोच रहा हूँ गाँव में जा कर कुछ दिन अब आराम करूँ
वहीं कहीं पर रख आया हूँ नींद पुरानी उस के पास