हमारे वास्ते हर आरज़ू काँटों की माला है
हमें तो ज़िंदगी दे कर ख़ुदा ने मार डाला है
उधर क़िस्मत है जो हर दम नया ग़म हम को देती है
इधर हम हैं कि हर ग़म को हमेशा दिल में पाला है
अभी तक इक खटक सी है अभी तक इक चुभन सी है
अगरचे हम ने अपने दिल से हर काँटा निकाला है
ग़लत ही लोग कहते हैं भलाई कर भला होगा
हमें तो दुख दिया उस ने जिसे दुख से निकाला है
तमाशा देखने आए हैं हम अपनी तबाही का
बता ऐ ज़िंदगी अब और क्या क्या होने वाला है

ग़ज़ल
हमारे वास्ते हर आरज़ू काँटों की माला है
तनवीर नक़वी