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हाल उस का तिरे चेहरे पे लिखा लगता है | शाही शायरी
haal us ka tere chehre pe likha lagta hai

ग़ज़ल

हाल उस का तिरे चेहरे पे लिखा लगता है

शहज़ाद अहमद

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हाल उस का तिरे चेहरे पे लिखा लगता है
वो जो चुप-चाप खड़ा है तिरा क्या लगता है

यूँ तिरी याद में दिन रात मगन रहता हूँ
दिल धड़कना तिरे क़दमों की सदा लगता है

यूँ तो हर चीज़ सलामत है मिरी दुनिया में
इक तअल्लुक़ है कि जो टूटा हुआ लगता है

ऐ मिरे जज़्ब-ए-दरूँ मुझ में कशिश है इतनी
जो ख़ता होता है वो तीर भी आ लगता है

जाने मैं कौन सी पस्ती में गिरा हूँ 'शहज़ाद'
इस क़दर दूर है सूरज कि दिया लगता है