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गुलों के साथ अजल के पयाम भी आए | शाही शायरी
gulon ke sath ajal ke payam bhi aae

ग़ज़ल

गुलों के साथ अजल के पयाम भी आए

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

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गुलों के साथ अजल के पयाम भी आए
बहार आई तो गुलशन में दाम भी आए

हमीं न कर सके तज्दीद-ए-आरज़ू वर्ना
हज़ार बार किसी के पयाम भी आए

चला न काम अगरचे ब-ज़ोम-ए-राहबरी
जनाब-ए-ख़िज़्र अलैहिस-सलाम भी आए

जो तिश्ना-ए-काम-ए-अज़ल थे वो तिश्ना-काम रहे
हज़ार दौर में मीना ओ जाम भी आए

बड़े बड़ों के क़दम डगमगा गए 'ताबाँ'
रह-ए-हयात में ऐसे मक़ाम भी आए