ग़ज़ब के तैश में वो शोख़-दीदा आया था
ब-शक्ल-ए-क़हर था ख़ंजर-कशीदा आया था
सुलूक-ए-हुस्न-ए-तअ'ल्लुक़ बने ये हंगामा
कि हर तरफ़ से बुरीदा रमीदा आया था
किया था शौक़ ने बेताब दीदा ने मुज़्तर
वो ज़ौक़-ए-लुत्फ़ का लज़्ज़त-चशीदा आया था
वफ़ा-मिसाल सरापा नियाज़ बा-तमकीं
फ़क़ीर पा-ए-ब-दामन-कशीदा आया था
हुआ न क़ुर्ब-ए-तअ'ल्लुक़ का इख़तिसास यहाँ
ये रू-शनास ज़ि-राह-ए-बईदा आया था
दिया न साक़ी-ए-रा'ना ने जाम-ए-कैफ़-ए-मुराद
सला-ए-आम का शोहरा शुनीदा आया था
ग़ज़ल
ग़ज़ब के तैश में वो शोख़-दीदा आया था
पंडित जवाहर नाथ साक़ी