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ग़ज़ब के तैश में वो शोख़-दीदा आया था | शाही शायरी
ghazab ke taish mein wo shoKH-dida aaya tha

ग़ज़ल

ग़ज़ब के तैश में वो शोख़-दीदा आया था

पंडित जवाहर नाथ साक़ी

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ग़ज़ब के तैश में वो शोख़-दीदा आया था
ब-शक्ल-ए-क़हर था ख़ंजर-कशीदा आया था

सुलूक-ए-हुस्न-ए-तअ'ल्लुक़ बने ये हंगामा
कि हर तरफ़ से बुरीदा रमीदा आया था

किया था शौक़ ने बेताब दीदा ने मुज़्तर
वो ज़ौक़-ए-लुत्फ़ का लज़्ज़त-चशीदा आया था

वफ़ा-मिसाल सरापा नियाज़ बा-तमकीं
फ़क़ीर पा-ए-ब-दामन-कशीदा आया था

हुआ न क़ुर्ब-ए-तअ'ल्लुक़ का इख़तिसास यहाँ
ये रू-शनास ज़ि-राह-ए-बईदा आया था

दिया न साक़ी-ए-रा'ना ने जाम-ए-कैफ़-ए-मुराद
सला-ए-आम का शोहरा शुनीदा आया था