गर हमें तेरा सहारा है, ख़ुदा जानता है
फिर तो हर ज़ुल्म गवारा है, ख़ुदा जानता है
मेरी हर राह गुज़रती है तिरे कूचे से
तू मिरा क़ुत्बी सितारा है, ख़ुदा जानता है
ज़िंदगी तुझ को तिरे दर्द के हर इक पल को
हम ने जिस तरह गुज़ारा है ख़ुदा जानता है
बैठा रहता है जहाँ हिज्र का तन्हा आँसू
मेरी आँखों का किनारा है, ख़ुदा जानता है
दिल धड़कता है तो उठती हैं बदन में टीसें
इश्क़ ने बाँध के मारा है, ख़ुदा जानता है

ग़ज़ल
गर हमें तेरा सहारा है, ख़ुदा जानता है
जीम जाज़िल