EN اردو
एक बुझाओ एक जलाओ ख़्वाब का क्या है | शाही शायरी
ek bujhao ek jalao KHwab ka kya hai

ग़ज़ल

एक बुझाओ एक जलाओ ख़्वाब का क्या है

दानियाल तरीर

;

एक बुझाओ एक जलाओ ख़्वाब का क्या है
आँखों में रख कर सो जाओ ख़्वाब का क्या है

पाँव-तले है रौंद के गुज़रो कुचल के देखो
पीछे जाओ आगे आओ ख़्वाब का क्या है

शेल्फ़ पे उल्टा कर के रख दो और बिसरा दो
गुल-दानों में फूल सजाओ ख़्वाब का क्या है

ख़्वाब का क्या है रात के नक़्श-ओ-निगार बनाओ
रात के नक़्श-ओ-निगार बनाओ ख़्वाब का क्या है

नींद मिली है गुड़ से मीठी शहद से शीरीं
गाओ नाचो नाचो गाओ ख़्वाब का क्या है

ला-यानी है सब ला-यानी या'नी या'नी
और कहानी लिख कर लाओ ख़्वाब का क्या है

एक कबाड़ी गलियों आवाज़ लगाए
राख ख़रीदो आग के भाव ख़्वाब का क्या है