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दिल में उन को बसा के देख लिया | शाही शायरी
dil mein un ko basa ke dekh liya

ग़ज़ल

दिल में उन को बसा के देख लिया

जामी रुदौलवी

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दिल में उन को बसा के देख लिया
आग घर में लगा के देख लिया

ज़िंदगानी वबाल-ए-दोश हुई
दिल की बातों में आ के देख लिया

अश्क भर लाई हैं मिरी आँखें
उस ने जब मुस्कुरा के देख लिया

और अब किस का ए'तिबार करें
दिल को अपना बना के देख लिया

उन की आदत है मुस्कुरा देना
हम ने आँसू बहा के देख लिया

हम को जादू का ए'तिबार न था
उन से नज़रें मिला के देख लिया

ग़ुंचा-ए-दिल कभी खिला ही नहीं
बारहा मुस्कुरा के देख लिया

इख़्तिसार-ए-जवाब के क़ुर्बां
मुस्कुरा मुस्कुरा के देख लिया

काम आती नहीं वफ़ा 'जामी'
बारहा आज़मा के देख लिया