दिल में ख़याल-ए-नर्गिस-ए-जानाना आ गया
फूलों से खेलता हुआ दीवाना आ गया
बादल के उठते ही मय ओ पैमाना आ गया
बिजली के साथ साथ परी-ख़ाना आ गया
मस्तों ने इस अदा से किया रक़्स-ए-नौ-बहार
पैमाना क्या कि वज्द में मय-ख़ाना आ गया
उस चश्म-ए-मय-फ़रोश की तासीर क्या कहूँ
होंटों तक आज आप ही पैमाना आ गया
मालूम किस को क़ैस की दीवानगी की शान
हंगामा सा बपा है कि दीवाना आ गया
'अख़्तर' ग़ज़ब थी अहद-ए-जवानी की दास्ताँ
आँखों के आगे एक परी-ख़ाना आ गया
ग़ज़ल
दिल में ख़याल-ए-नर्गिस-ए-जानाना आ गया
अख़्तर शीरानी