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दिल झुका माइल तबीअत हो गई | शाही शायरी
dil jhuka mail tabiat ho gai

ग़ज़ल

दिल झुका माइल तबीअत हो गई

अहसन मारहरवी

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दिल झुका माइल तबीअत हो गई
आज बिस्मिल्लाह उल्फ़त हो गई

महव दिल से सब शिकायत हो गई
सामने जब उन की सूरत हो गई

मेरा हाल-ए-ज़ार तो देखा मगर
ये न पूछा क्यूँ ये हालत हो गई

वो फ़रेब-ए-नाज़ दे कर ले गए
कितनी अर्ज़ां दिल की क़ीमत हो गई

दिल में जब तक आह थी इक बात थी
लब तक आते ही हिकायत हो गई

जब न डाला उस ने आ कर कोई फूल
गुल हमारी शम-ए-तुर्बत हो गई

फ़ित्ना-साज़ी तक जो थी मश्क़ ख़िराम
रफ़्ता रफ़्ता वो क़यामत हो गई

कैसी मतलब-आश्ना थी चश्म-ए-शोख़
दिल उड़ाया और चम्पत हो गई

चश्म पुर नम ने किया इफ़शा राज़
आबरू-ए-ज़ब्त ग़ारत हो गई

दिल की चालों का नतीजा ये हुआ
वक़्त से पहले क़यामत हो गई

दे दिया दिल जिस को हम ने दे दिया
हो गई जिस से मोहब्बत हो गई

कह गए 'अहसन' के मुँह पर आज वो
तेरी सूरत से भी नफ़रत हो गई