दिल है तो मुक़ामात-ए-फुग़ाँ और भी होंगे
सर है तो अभी संग-ए-गिराँ और भी होंगे
हम से कि है सामान-ए-फ़राग़त भी जुनूँ भी
तस्वीर के पर्दे में निहाँ और भी होंगे
वाँ सिलसिला-ए-ज़ुल्फ़ में ख़म बढ़ते रहेंगे
याँ मशग़ला-ए-ग़म में ज़ियाँ और भी होंगे
वाँ बू-ए-वफ़ा वहम को सह चंद करेगी
याँ रंग-ए-तग़ाफ़ुल पे गुमाँ और भी होंगे
हाँ रस्म-ए-मुदारात-ए-जुनूँ और बढ़ेगी
हाँ दुश्मन-ए-दिल आफ़त-ए-जाँ और भी होंगे
हाँ वज्ह-ए-गिरफ़्तारी-ए-दिल सब किसे मा'लूम
हाँ तर्ज़-ए-सितम-हा-ए-निहाँ और भी होंगे
हाँ और बढ़ेगी क़द-ओ-गेसू की हिकायत
हाँ क़िस्सा-ए-कोताही-ए-जाँ और भी होंगे
भड़केगी अभी आतिश-ए-शौक़ और सर-ए-दार
हाँ शो'ला-लबाँ सर्व-क़दाँ और भी होंगे
हाँ मरहला-ए-शौक़ के उनवाँ हैं अभी और
'बाक़र' से कुछ आशुफ़्ता-बयाँ और भी होंगे
ग़ज़ल
दिल है तो मुक़ामात-ए-फुग़ाँ और भी होंगे
सज्जाद बाक़र रिज़वी