दीदा-ए-जौहर से बीना हो गया
आइना महव-ए-तमाशा हो गया
देख कर आईना-ए-ज़ानू तिरा
आइना महव-ए-तमाशा हो गया
बा'द-ए-मोजिद आलम-ए-ईजाद में
आइना महव-ए-तमाशा हो गया
कर दिया हैराँ जिसे दिखलाई शक्ल
आइना महव-ए-तमाशा हो गया
वो हलब पहुँचा तो सुन लेना ये हाल
आइना महव-ए-तमाशा हो गया
पुश्त-बर-दीवार है तेरी हुज़ूर
आइना महव-ए-तमाशा हो गया
सामने से तेरे टलता ही नहीं
आइना महव-ए-तमाशा हो गया
शाना है दिल चाक मश्शाता है दंग
आइना महव-ए-तमाशा हो गया
देख कर उस रू-ए-रंगीं की बहार
आइना महव-ए-तमाशा हो गया
तेरे आगे चश्म-ए-आशिक़ की तरह
आइना महव-ए-तमाशा हो गया
'मेहर' को सकता है या ऐ रश्क-ए-माह
आइना महव-ए-तमाशा हो गया
महफ़िल-ए-इशरत में मह-रूयों के 'मेहर'
आइना महव-ए-तमाशा हो गया
ग़ज़ल
दीदा-ए-जौहर से बीना हो गया
हातिम अली मेहर