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देखे हैं जो ग़म दिल से भुलाए नहीं जाते | शाही शायरी
dekhe hain jo gham dil se bhulae nahin jate

ग़ज़ल

देखे हैं जो ग़म दिल से भुलाए नहीं जाते

होश तिर्मिज़ी

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देखे हैं जो ग़म दिल से भुलाए नहीं जाते
इक उम्र हुई याद के साए नहीं जाते

अश्कों से ख़बर-दार कि आँखों से न निकलें
गिर जाएँ ये मोती तो उठाए नहीं जाते

हर जुम्बिश-ए-दामान-ए-जुनूँ जान-ए-अदब है
इस राह में आदाब सिखाए नहीं जाते

हम भी शब-ए-गेसू के उजालों में रहे हैं
क्या कीजिए दिन फेर के लाए नहीं जाते

शिकवा नहीं समझाए कोई चारागरों को
कुछ ज़ख़्म हैं ऐसे कि दिखाए नहीं जाते

ऐ दस्त-ए-जफ़ा सर हैं ये अरबाब-ए-वफ़ा के
कट जाएँ तो कट जाएँ झुकाए नहीं जाते

ऐ 'होश' ग़म-ए-दिल के चराग़ों की है क्या बात
इक बार जला दो तो बुझाए नहीं जाते