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देख इन चिड़ियों को चिड़िया-घर न देख | शाही शायरी
dekh in chiDiyon ko chiDiya-ghar na dekh

ग़ज़ल

देख इन चिड़ियों को चिड़िया-घर न देख

चन्द्रभान ख़याल

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देख इन चिड़ियों को चिड़िया-घर न देख
लौट मत पीछे को यूँ मुड़ कर न देख

हाथियों की पीठ पर बैठा है दिन
शाम से पहले कोई मंज़र न देख

अपनी दीवारों से कुछ बाहर निकल
सिर्फ़ ख़ाली घर के बाम-ओ-दर न देख

पत्थरों के कर्ब को महसूस कर
मेरे सीने पर रखा पत्थर न देख

कर गया सूरज सभी को बे-लिबास
अब कोई साया कोई पैकर न देख

अपनी नंगी चारपाई ढाँप ले
उस के बिस्तर की धुली चादर न देख

फ़र्श पर बे-लफ़्ज़ आवाज़ों को सुन
हिनहिनाती घोड़ियों के सर न देख