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दर्द दिल से कभी जुदा न हुआ | शाही शायरी
dard dil se kabhi juda na hua

ग़ज़ल

दर्द दिल से कभी जुदा न हुआ

कविता किरन

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दर्द दिल से कभी जुदा न हुआ
कोई हमदर्द आप सा न हुआ

उन के हमराह था तमाम सफ़र
तय मगर फिर भी रास्ता न हुआ

हम भँवर में थे डूबते ही गए
नाख़ुदा तो कभी ख़ुदा न हुआ

आप का ग़म है आप से बेहतर
वो कभी हम से बे-वफ़ा न हुआ

हैं सभी लोग शहर के अच्छे
हम से बढ़ कर कोई बुरा न हुआ

हम से रूठी रही 'किरन' लेकिन
दिल तो दिल से कभी जुदा न हुआ