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चल तुझे यार घुमा लाता हूँ | शाही शायरी
chal tujhe yar ghuma lata hun

ग़ज़ल

चल तुझे यार घुमा लाता हूँ

साइम जी

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चल तुझे यार घुमा लाता हूँ
आसमाँ पार घुमा लाता हूँ

वक़्त मुट्ठी में है गर चाहो तो
पिछले अदवार घुमा लाता हूँ

दिल तुझे मौत पड़ी है कैसी
क्यूँ है बेज़ार घुमा लाता हूँ

अब ज़रा दश्त को भी देख आएँ
कर न इंकार घुमा लाता हूँ

मैं तो उस पार भी जा सकता हूँ
ऐ मिरे यार घुमा लाता हूँ