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भूके जिस्मों की ख़्वाहिशों के लिए | शाही शायरी
bhuke jismon ki KHwahishon ke liye

ग़ज़ल

भूके जिस्मों की ख़्वाहिशों के लिए

वसीम ताशिफ़

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भूके जिस्मों की ख़्वाहिशों के लिए
हम मिले थे ज़रूरतों के लिए

झाँक लेना बुरा नहीं होता
अच्छा होता है खिड़कियों के लिए

चार हिस्सों में बट के रह जाना
कितना मुश्किल है आँगनों के लिए

मेरी हर नज़्म लड़कियों पे निसार
मेरा हर शे'र औरतों के लिए

भीग जाना मुझे भी आता है
एक एलान बारिशों के लिए

धोबियों के लिए बहुत आदाब
तालियाँ उस के दर्ज़ियों के लिए

उन दुकानों में दस्तियाब कहाँ
लिपस्टिक आप के लबों के लिए

वो मुझे इस तरह ज़रूरी है
घंटियाँ जैसे मंदिरों के लिए

उस का चेहरा ग़ज़ल की अच्छी किताब
उस की आँखें समुंदरों के लिए