भुला दिया भी अगर जाए सरसरी किया जाए
मुतालेआ मिरी वहशत का लाज़मी किया जाए
हम ऐसे लोग जो आइंदा ओ गुज़िश्ता हैं
हमारे अहद को मौजूद से तही किया जाए
ख़बर मिली है कि उस ख़ुश-ख़बर की आमद है
सो एहतिमाम-ए-सुख़न आज मुल्तवी किया जाए
हमें अब अपने नए रास्ते बनाने हैं
जो काम कल हमें करना है वो अभी किया जाए
नहीं बईद ये अहकाम-ए-ताज़ा जारी हों
कि गुम्बदों से परिंदों को अजनबी किया जाए
बस एक लम्हा तिरे वस्ल का मयस्सर हो
और उस विसाल के लम्हे को दाइमी किया जाए
ग़ज़ल
भुला दिया भी अगर जाए सरसरी किया जाए
हम्माद नियाज़ी