बनाया है शहकार यूँ तेरे ग़म ने
बहुत दाद पाई सर-ए-बज़्म हम ने
हमें क्या मिला आज जन्नत में आ कर
हमें क्या दिया था गुज़िश्ता जनम ने
सितम हो अगर साफ़ कह दें ये सब को
हमें मार डाला किसी के करम ने
कहें गर तो बदनाम भी ख़ुद ही होंगे
दिया हम को धोका हमारे सनम ने
मैं समझा सफ़र उस की जानिब है मेरा
किया दूर उस से मुझे हर क़दम ने
ग़ज़ल
बनाया है शहकार यूँ तेरे ग़म ने
सय्यद सग़ीर सफ़ी