EN اردو
बहता आँसू एक झलक में कितने रूप दिखाएगा | शाही शायरी
bahta aansu ek jhalak mein kitne rup dikhaega

ग़ज़ल

बहता आँसू एक झलक में कितने रूप दिखाएगा

अहमद मुश्ताक़

;

बहता आँसू एक झलक में कितने रूप दिखाएगा
आँख से हो कर गाल भिगो कर मिट्टी में मिल जाएगा

भूलने वाले! वक़्त के ऐवानों में कौन ठहरता है
बीती शाम के दरवाज़े पर किस को बुलाने आएगा

आँख-मिचोली खेल रहा है इक बदली से इक तारा
फिर बदली की यूरिश होगी फिर तारा छुप जाएगा

अँधियारे के घोर-नगर में एक किरन आबाद हुई
किस को ख़बर है पहला झोंका कितने फूल खिलाएगा

फिर इक लम्हा आन रुका है वक़्त के सूने सहरा में
पल भर अपनी छब दिखला कर लम्हों में मिल जाएगा