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बदले हुए हालात से मायूस न होना | शाही शायरी
badle hue haalat se mayus na hona

ग़ज़ल

बदले हुए हालात से मायूस न होना

वाक़िफ़ राय बरेलवी

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बदले हुए हालात से मायूस न होना
इंसान के जज़्बात से मायूस न होना

ये रात उसी की है सहर भी है उसी की
इस दर्द-भरी रात से मायूस न होना

हर दिल से उदासी का भरम तोड़ते रहना
मायूस ख़यालात से मायूस न होना

माना कि बहुत आग है माहौल में लेकिन
इस मुल्क की बरसात से मायूस न होना

दुनिया से बहुत आस लगाना नहीं ऐ दोस्त
दुनिया की किसी बात से मायूस न होना

कुछ लोग ज़रा देर में खुलते हैं किसी से
पहली ही मुलाक़ात से मायूस न होना

आवारा सवालात की मंज़िल भी है 'वाक़िफ़'
दुनिया के जवाबात से मायूस न होना