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और ही वो लोग हैं जिन को है यज़्दाँ की तलाश | शाही शायरी
aur hi wo log hain jinko hai yazdan ki talash

ग़ज़ल

और ही वो लोग हैं जिन को है यज़्दाँ की तलाश

नज़ीर सिद्दीक़ी

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और ही वो लोग हैं जिन को है यज़्दाँ की तलाश
मुझ को इंसानों की दुनिया में है इंसाँ की तलाश

मैं नहीं कहता कि दुनिया में है उल्फ़त की कमी
मुझ को है लेकिन इसी जिंस-ए-फ़रावाँ की तलाश

बार-ए-ख़ातिर है हयात-ए-पुर-सुकून ओ पुर-जुमूद
मैं वो साहिल हूँ जिसे रहती है तूफ़ाँ की तलाश

इस जहाँ को जब बना सकता है वो रश्क-ए-इरम
जाने क्यूँ इंसाँ को है फ़िरदौस-ए-वीराँ की तलाश

ऐ सुकून-ए-जाँ मुझे ऐसी ही है तेरी तलब
चश्म-ए-नम को जिस तरह रहती है दामाँ की तलाश