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अपनी तक़दीर से बग़ावत की | शाही शायरी
apni taqdir se baghawat ki

ग़ज़ल

अपनी तक़दीर से बग़ावत की

कर्रार नूरी

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अपनी तक़दीर से बग़ावत की
आज हम ने भी इक इबादत की

कौन है जिस के सर की खाएँ क़सम
किस ने हम से यहाँ मोहब्बत की

और क्या है ये घर का सन्नाटा
एक आवाज़ है मोहब्बत की

हम को मिटना था मिट गए 'नूरी'
चाह में एक बे-मुरव्वत की