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अपनी हस्ती नज़र आई थी अभी | शाही शायरी
apni hasti nazar aai thi abhi

ग़ज़ल

अपनी हस्ती नज़र आई थी अभी

कर्रार नूरी

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अपनी हस्ती नज़र आई थी अभी
साँस से शम्अ' बुझाई थी अभी

कौन हो सकता है आने वाला
एक आवाज़ सी आई थी अभी

एक सूरत थी कि दिल ही दिल में
एक सूरत से मिल आई थी अभी

साथ अपने वो ख़ुदा था कोई
साथ अपने जो ख़ुदाई थी अभी

सब की आँखों में नज़र आने लगी
दिल में सूरत जो छुपाई थी अभी

बात कहते ही ज़रा खो से गए
बात मुश्किल से बनाई थी अभी

फिर वफ़ादार नज़र आने लगा
बेवफ़ा जिस से लड़ाई थी अभी