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अंदाज़ वो नहीं है अब वो अदा नहीं है | शाही शायरी
andaz wo nahin hai ab wo ada nahin hai

ग़ज़ल

अंदाज़ वो नहीं है अब वो अदा नहीं है

मीनू बख़्शी

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अंदाज़ वो नहीं है अब वो अदा नहीं है
पहला सा बाँकपन तो तुझ में रहा नहीं है

क्यूँ साँस घुट रही है क्यूँ मुज़्तरिब है दिल भी
शायद खुली फ़ज़ा में ताज़ा हवा नहीं है

तन्क़ीद कर रहा है कुछ इस अदा से मुझ पर
जैसे कि इस जहाँ में मेरा ख़ुदा नहीं है

है इश्क़ नाम मेरा दिल है मक़ाम मेरा
इस के सिवा जहाँ में मेरा पता नहीं है