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अम्माँ से मिले बीवी के ज़ेवर की तरह है | शाही शायरी
amman se mile biwi ke zewar ki tarah hai

ग़ज़ल

अम्माँ से मिले बीवी के ज़ेवर की तरह है

प्रताप सोमवंशी

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अम्माँ से मिले बीवी के ज़ेवर की तरह है
ख़ुद्दारी मिरे पास धरोहर की तरह है

इस मोड़ पे पहुँचा है कई साल गँवा कर
वो शख़्स भी क़िस्तों में बने घर की तरह है

आ जाएगा आसानी से अब मुझ को सँभलना
आदत तिरी मेरे लिए ठोकर की तरह है

आता है वही काम मुसीबत के दिनों में
फ़रज़ंद मिरे घर में भी लोफ़र की तरह हैं