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अल्लाह रे हौसला मिरे क़ल्ब-ए-दो-नीम का | शाही शायरी
allah re hausla mere qalb-e-do-nim ka

ग़ज़ल

अल्लाह रे हौसला मिरे क़ल्ब-ए-दो-नीम का

रशीद रामपुरी

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अल्लाह रे हौसला मिरे क़ल्ब-ए-दो-नीम का
जिस ने सबक़ पढ़ा है अलिफ़ लाम मीम का

उट्ठा न बार जल्वा-ए-ज़ात-ए-क़दीम का
इतना था ज़र्फ़ दावा-ए-चश्म-ए-कलीम का

बख़्शिश ख़ुदा की है तो शफ़ाअत रसूल की
रखता हूँ दरमियान करीम ओ रहीम का

आसी को अपने दामन-ए-रहमत में दी जगह
अल्लाह रे करम मिरे रब्ब-ए-करीम का

आसी सही ज़लील सही पुर-ख़ता सही
बंदा तो है 'रशीद' ग़फ़ूरुर-रहीम का