अल्फ़ाज़ हैं ये सारे उसी की ज़बान के
पहचानता हूँ तीर मैं उस की कमान के
हर बूँद पे गुमान था मोती की आब का
आँखों में अश्क आए बड़ी आन-बान के
हर हर अदा-ओ-नाज़ की क़ीमत थे जान-ओ-दिल
सौदे बहुत ही महँगे थे उस की दुकान के
उस के अजब सवाल थे मेरे अजब जवाब
पर्चे सभी ख़राब हुए इम्तिहान के
ग़म से ज़ियादा और न बेहतर लगा कोई
उन्वान सैंकड़ों थे मिरी दास्तान के
किस सादगी से उस ने ये 'सीरत' कहा मुझे
तारे भी तोड़ सकते हो क्या आसमान के

ग़ज़ल
अल्फ़ाज़ हैं ये सारे उसी की ज़बान के
मोहन सीरत अजमेरी