EN اردو
अक्स ने मेरे रुलाया है मुझे | शाही शायरी
aks ne mere rulaya hai mujhe

ग़ज़ल

अक्स ने मेरे रुलाया है मुझे

ख़ुर्शीद रिज़वी

;

अक्स ने मेरे रुलाया है मुझे
कोई अपना नज़र आया है मुझे

पेश-ए-आईना बहुत सोचता हूँ
किस लिए उस ने बनाया है मुझे

किस लिए वुसअत-ए-सहरा दे कर
तंग गलियों में फिराया है मुझे

किस लिए मेरे ही सेहन-ए-जाँ में
मिस्ल-ए-दीवार उठाया है मुझे

मैं कहीं और का रहने वाला
ग़म कहाँ खींच के लाया है मुझे

जिस में उस छाँव की याद आ जाए
अब तो वो धूप भी साया है मुझे

निगह-ए-नाज़ से क्यूँकर पूछूँ
क्यूँ निगाहों से गिराया है मुझे

हाथ में ले के गिरेबाँ मेरा
दिल ने दिल भर के सताया है मुझे

सख़्त हैराँ हूँ सर-ए-कोह-ए-निदा
कौन था किस ने बुलाया है मुझे