ऐ सजन वक़्त-ए-जाँ-गुदाज़ी है
मौसम-ए-ऐश-ओ-फ़स्ल-बाज़ी है
इन चकोरों से दूर रह ऐ चाँद
क़ौल उश्शाक़ का नमाज़ी है
इस क़लंदर की बात सहल न बूझ
इश्क़ के फ़न में फ़ख़्र-ए-राज़ी है
हम-क़रीं मुझ न कर रक़ीबाँ सूँ
तौर यारों की पाक-बाज़ी है
आशिक़ाँ जान-ओ-दिल गँवाते हैं
ये न तौर-ए-ज़माना-साज़ी है
'फ़ाएज़' उस ख़ुश-अदा सिरीजन पास
बे-गुनाहाँ का क़त्ल बाज़ी है
ग़ज़ल
ऐ सजन वक़्त-ए-जाँ-गुदाज़ी है
फ़ाएज़ देहलवी