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ऐ ख़ुदा तू ही मुझे चाहने वाला देना | शाही शायरी
ai KHuda tu hi mujhe chahne wala dena

ग़ज़ल

ऐ ख़ुदा तू ही मुझे चाहने वाला देना

राम दास

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ऐ ख़ुदा तू ही मुझे चाहने वाला देना
एक फ़नकार हूँ शोहरत के उजाले देना

चुप रहूँ लोगों की दुश्नाम-तराज़ी पर मैं
बख़्शना नुत्क़ मुझे ज़ब्त के ताले देना

ए जहाँ वालो सुनो वक़्त का सुक़रात है वो
अब ज़रूरी है उसे ज़हर के प्याले देना

भेजना नूरी परिंदों को जहाँ में यारब
दूर कर देना अँधेरे को उजाले देना

चंद तहरीक हुमायूँ, नहीं छपते अब तो
ए मुदीरान-ए-अदब अच्छे रिसाले देना

क्या नया शेर-ओ-अदब क्या है क्लासिकी ग़ज़ल
बहस में 'राम' के शेरों के हवाले देना