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अहद-ए-गुम-गश्ता की निशानी हूँ | शाही शायरी
ahd-e-gum-gashta ki nishani hun

ग़ज़ल

अहद-ए-गुम-गश्ता की निशानी हूँ

राही कुरैशी

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अहद-ए-गुम-गश्ता की निशानी हूँ
एक भूली हुई कहानी हूँ

वो ख़ुशी हूँ जो दर्द सुलगाए
आग जिस से लगे वो पानी हूँ

एक आँसू हूँ चश्म-ए-इशरत का
ज़ीस्त का रंज-ए-शादमानी हूँ

अपनी बर्बादियों पे याद आया
कितनी आबादियों का बानी हूँ

सीना-ए-दश्त पर हूँ मौज-ए-सराब
ख़ुश्क दरियाओं की रवानी हूँ

आइना-ख़ाना-ए-ज़माना में
अक्स अपना हूँ अपना सानी हूँ

इक तबस्सुम की आस में 'राही'
कब से महरूम-ए-शादमानी हूँ