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अदू से शिकवा-ए-क़ैद-ओ-क़फ़स क्या | शाही शायरी
adu se shikwa-e-qaid-o-qafas kya

ग़ज़ल

अदू से शिकवा-ए-क़ैद-ओ-क़फ़स क्या

सईद आसिम

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अदू से शिकवा-ए-क़ैद-ओ-क़फ़स क्या
तुम्हारे ब'अद जीने की हवस क्या

हम अपनी दस्तरस में भी नहीं हैं
ज़माने पर हमारी दस्तरस क्या

कई दिन से ये दिल क्यूँ मुज़्तरिब है
नहीं चलता अब इस पे अपना बस क्या

हमारे पाँव में छाले पड़े हैं
तो फिर इस में ख़ता-ए-ख़ार-ओ-ख़स क्या

जहाँ ख़ाली जगह है बैठ जाओ
अक़ीदत में ये फ़िक्र-ए-पेश-ओ-पस क्या

ख़फ़ा रहने लगे हो मुझ से अक्सर
जुदा हो जाओगे अब के बरस क्या