अभी तवक़्क़ो बनाए रखना अभी उमीदें जगाए रहना
बहुत घना है अँधेरा शब का दिलों की शमएँ जलाए रहना
ख़ुदा ही जाने कि आने वाली रुतों में क्या हो जहाँ की हालत
अभी ये नग़्मे न बंद करना अभी ये महफ़िल सजाए रहना
ये देखना है कि दम है कितना ग़नीम लश्कर के बाज़ुओं में
सफ़ों को अपनी सजाए रखना सुरों को अपने उठाए रहना
यहाँ कहाँ बस्तियों की रौनक़ यहाँ तो सन्नाटा चीख़ता है
उजाड़ सहरा का ये सफ़र है दिलों की दुनिया बसाए रहना
अभी है ख़तरा नफ़स नफ़स पर अभी हैं क़ातिल गली गली में
'शकील' आँखें न बंद करना 'शकील' ख़ुद को जगाए रहना
ग़ज़ल
अभी तवक़्क़ो बनाए रखना अभी उमीदें जगाए रहना
अतहर शकील