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अब लब पे वो हंगामा-ए-फ़रियाद नहीं है | शाही शायरी
ab lab pe wo hangama-e-fariyaad nahin hai

ग़ज़ल

अब लब पे वो हंगामा-ए-फ़रियाद नहीं है

फ़ानी बदायुनी

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अब लब पे वो हंगामा-ए-फ़रियाद नहीं है
अल्लाह रे तिरी याद कि कुछ याद नहीं है

आती है सबा सू-ए-लहद उन की गली से
शायद मिरी मिट्टी अभी बर्बाद नहीं है

अल्लाह बचाए असर-ए-ज़ब्त से उन को
बेदाद तो है शिकवा-ए-बेदाद नहीं है

अपनी ही बदौलत है नशेमन की ख़राबी
मिन्नत-कश-ए-बे-दर्दी-ए-सय्याद नहीं है

आमादा-ए-फ़रियाद-रसी है वो सितमगर
फ़रियाद कि अब ताक़त-ए-फ़रयाद नहीं है

दुनिया में दयार-ए-दिल-ए-'फ़ानी' के सिवा हाए
कोई भी वो बस्ती है जो आबाद नहीं है