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अब चलो देख लें यही कर के | शाही शायरी
ab chalo dekh len yahi kar ke

ग़ज़ल

अब चलो देख लें यही कर के

फ़ैज़ जौनपूरी

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अब चलो देख लें यही कर के
अपने माज़ी पे शाइ'री कर के

ले गई रातें फिर उजालों को
फिर से बातें बड़ी बड़ी कर के

रातें मुझ में सुकून कितना है
हम ने देखा ये बंदगी कर के

ज़िंदगी इक किताब थी फिर भी
लोग गुज़रे ग़लत सही कर के

लौटना है मुझे वहीं यारों
उन के ही नाम ज़िंदगी कर के

'फ़ैज़' सौदा नहीं किया हम ने
इन अँधेरों से रौशनी कर के