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आतिश-ए-तब ने की है ताब शुरूअ | शाही शायरी
aatish-e-tab ne ki hai tab shurua

ग़ज़ल

आतिश-ए-तब ने की है ताब शुरूअ

क़ाएम चाँदपुरी

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आतिश-ए-तब ने की है ताब शुरूअ
तू भी कर दीदा-ए-पुर-आब शुरूअ

क्यूँ न अबतर हो आँसुओं से चश्म
की है लड़कों ने ये किताब शुरूअ

शब मैं चाहा करूँ कुछ उस से सवाल
बिन सुने ही किया जवाब शुरूअ

सर्फ़ा-ए-ख़ुश्क भी है इक हीला
करनी ज़ाहिद को थी शराब शुरूअ

नाम सुनते ही उस का बस 'क़ाएम'
फिर क्या तू ने इज़्तिराब शुरूअ