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आप से है मुक़ाबला दर-पेश | शाही शायरी
aap se hai muqabla dar-pesh

ग़ज़ल

आप से है मुक़ाबला दर-पेश

रहमान जामी

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आप से है मुक़ाबला दर-पेश
है अजब दिल को मरहला दर-पेश

कितनी अय्यार है तिरी दुनिया
है इसी से मोआमला दर-पेश

हल तुम्हारे बग़ैर कैसे हो
ज़िंदगी का है मसअला दर-पेश

इश्क़ वाले हैं मुब्तला-ए-ग़म
हुस्न वालों का है भला दर-पेश

रू-ब-रू है वो ख़ूब-रू 'जामी'
है क़यामत का मरहला दर-पेश