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आप लोगों के कहे पर ही उखड़ जाते हैं | शाही शायरी
aap logon ke kahe par hi ukhaD jate hain

ग़ज़ल

आप लोगों के कहे पर ही उखड़ जाते हैं

हैदर क़ुरैशी

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आप लोगों के कहे पर ही उखड़ जाते हैं
लोग तो झूट भी सौ तरह के घड़ जाते हैं

आँख किस तरह खुले मेरी कि मैं जानता हूँ
आँख खुलते ही सभी ख़्वाब उजड़ जाते हैं

ग़म तुम्हारा नहीं जानाँ हमें दुख अपना है
तुम बिछड़ते हो तो हम ख़ुद से बिछड़ जाते हैं

लोग कहते हैं कि तक़दीर अटल होती है
हम ने देखा है मुक़द्दर भी बिगड़ जाते हैं

वो जो 'हैदर' मिरे मुंकिर थे मिरे ज़िक्र पे अब
चौंक उठते हैं किसी सोच में पड़ जाते हैं