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आप की आँख अगर आज गुलाबी होगी | शाही शायरी
aap ki aankh agar aaj gulabi hogi

ग़ज़ल

आप की आँख अगर आज गुलाबी होगी

अब्दुल हमीद अदम

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आप की आँख अगर आज गुलाबी होगी
मेरी सरकार बड़ी सख़्त ख़राबी होगी

मोहतसिब ने ही पढ़ा होगा मक़ाला पहले
मिरी तक़रीर ब-हर-हाल जवाबी होगी

आँख उठाने से भी पहले ही वो होंगे ग़ाएब
क्या ख़बर थी कि उन्हें इतनी शिताबी होगी

हर मोहब्बत को समझता है वो नॉवेल का वरक़
उस परी-ज़ाद की ता'लीम किताबी होगी

शैख़-जी हम तो जहन्नम के परिंदे ठहरे
आप के पास तो फ़िरदौस की चाबी होगी

कर दिया मूसा को जिस चीज़ ने बेहोश 'अदम'
बे-नक़ाबी नहीं वो नीम-हिजाबी होगी