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आप जिस से कलाम करते हैं | शाही शायरी
aap jis se kalam karte hain

ग़ज़ल

आप जिस से कलाम करते हैं

रईस नारवी

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आप जिस से कलाम करते हैं
नींद उस की हराम करते हैं

आस्तीं में छुपाए हैं ख़ंजर
मुँह से वो राम राम करते हैं

इश्क़ का रोग उन के बस का नहीं
दूर से वो सलाम करते हैं

दिल से मजबूर तेरे दीवाने
इक जगह कब क़याम करते हैं

दस्त-ओ-बाज़ू के दौर में तो 'रईस'
काम से लोग नाम करते हैं