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आँखों में बीज ख़्वाब का बोने नहीं दिया | शाही शायरी
aankhon mein bij KHwab ka bone nahin diya

ग़ज़ल

आँखों में बीज ख़्वाब का बोने नहीं दिया

ख़्वाजा जावेद अख़्तर

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आँखों में बीज ख़्वाब का बोने नहीं दिया
इक पल भी उस ने चैन से सोने नहीं दिया

अश्कों से दिल का ज़ख़्म भी धोने नहीं दिया
मुझ को ख़ुद अपने हाल पे रोने नहीं दिया

ये और बात है वो मिरा हो नहीं सका
लेकिन मुझे किसी का भी होने नहीं दिया

गुम होना चाहता था मैं ख़ुद अपने आप में
मुझ को तिरे गुमान ने खोने नहीं दिया

शामिल है उस की ज़ात में मेरा वजूद भी
तन्हा किसी भी मोड़ पे होने नहीं दिया