आईना की बे-रिया तसरीह ले कर क्या करें
आप अपने दौर की तलमीह ले कर क्या करें
बाहरी दुनिया को दानों में फिराना ख़ूब है
मिम्बर-ओ-मेहराब में तस्बीह ले कर क्या करें
कू-ब-कू खुलते नहीं निखरी हुई ग़ज़लों के बाग़
इम्तिज़ाज-ए-फ़ुर्सत-ए-तफ़रीह ले कर क्या करें
इस मुनाफ़िक़ दौर ने जीना हमें सिखला दिया
अब ज़मीर-ए-ख़ुफ़्ता की तौज़ीह ले कर क्या करें
आलम-ए-हैरत में गोया हैं 'जमीलउद्दीन' आप
आप के अशआ'र की तशरीह ले कर क्या करें

ग़ज़ल
आईना की बे-रिया तसरीह ले कर क्या करें
जमीलुद्दीन क़ादरी