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उर्दू शायरी | शाही शायरी

उर्दू

25 शेर

जो ये हिन्दोस्ताँ नहीं होता
तो ये उर्दू ज़बाँ नहीं होती

अब्दुल सलाम




वो करे बात तो हर लफ़्ज़ से ख़ुश्बू आए
ऐसी बोली वही बोले जिसे उर्दू आए

अहमद वसी




डाल दे जान मआ'नी में वो उर्दू ये है
करवटें लेने लगे तब्अ वो पहलू ये है

अकबर इलाहाबादी




शहद-ओ-शकर से शीरीं उर्दू ज़बाँ हमारी
होती है जिस के बोले मीठी ज़बाँ हमारी

अल्ताफ़ हुसैन हाली




'मुल्ला' बना दिया है इसे भी महाज़-ए-जंग
इक सुल्ह का पयाम थी उर्दू ज़बाँ कभी

आनंद नारायण मुल्ला




जो दिल बाँधे वो जादू जानता है
मिरा महबूब उर्दू जानता है

अनीस देहलवी




हाँ मुझे उर्दू है पंजाबी से भी बढ़ कर अज़ीज़
शुक्र है 'अनवर' मिरी सोचें इलाक़ाई नहीं

अनवर मसूद