EN اردو
Shahr शायरी | शाही शायरी

Shahr

12 शेर

शहर का भी दस्तूर वही जंगल वाला
खोजने वाले ही अक्सर खो जाते हैं

ख़ालिद इबादी




इक और खेत पक्की सड़क ने निगल लिया
इक और गाँव शहर की वुसअत में खो गया

ख़ालिद सिद्दीक़ी




मेरे ही संग-ओ-ख़िश्त से तामीर-ए-बाम-ओ-दर
मेरे ही घर को शहर में शामिल कहा न जाए

मजरूह सुल्तानपुरी




ऐसा हंगामा न था जंगल में
शहर में आए तो डर लगता था

मोहम्मद अल्वी




दिल तो मेरा उदास है 'नासिर'
शहर क्यूँ साएँ साएँ करता है

नासिर काज़मी