नया साल दीवार पर टाँग दे
पुराने बरस का कैलेंडर गिरा
मोहम्मद अल्वी
टैग:
| नया साल |
| 2 लाइन शायरी |
कौन जाने कि नए साल में तू किस को पढ़े
तेरा मेयार बदलता है निसाबों की तरह
परवीन शाकिर
टैग:
| नया साल |
| 2 लाइन शायरी |
जिस बरहमन ने कहा है कि ये साल अच्छा है
उस को दफ़नाओ मिरे हाथ की रेखाओं में
क़तील शिफ़ाई
टैग:
| नया साल |
| 2 लाइन शायरी |
दुल्हन बनी हुई हैं राहें
जश्न मनाओ साल-ए-नौ के
साहिर लुधियानवी
टैग:
| नया साल |
| 2 लाइन शायरी |
साल गुज़र जाता है सारा
और कैलन्डर रह जाता है
सरफ़राज़ ज़ाहिद
टैग:
| नया साल |
| 2 लाइन शायरी |
उम्र का एक और साल गया
वक़्त फिर हम पे ख़ाक डाल गया
शकील जमाली
टैग:
| नया साल |
| 2 लाइन शायरी |
एक बरस और बीत गया
कब तक ख़ाक उड़ानी है
विकास शर्मा राज़