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Charagh शायरी | शाही शायरी

Charagh

17 शेर

इन चराग़ों में तेल ही कम था
क्यूँ गिला फिर हमें हवा से रहे

जावेद अख़्तर




किसी ख़याल किसी ख़्वाब के लिए 'ख़ुर्शीद'
दिया दरीचे में रक्खा था दिल जलाया था

ख़ुर्शीद रब्बानी




दिया ख़ामोश है लेकिन किसी का दिल तो जलता है
चले आओ जहाँ तक रौशनी मा'लूम होती है

the lamp's extinguised but someone's heart

नुशूर वाहिदी