इन चराग़ों में तेल ही कम था
क्यूँ गिला फिर हमें हवा से रहे
जावेद अख़्तर
किसी ख़याल किसी ख़्वाब के लिए 'ख़ुर्शीद'
दिया दरीचे में रक्खा था दिल जलाया था
ख़ुर्शीद रब्बानी
दिया ख़ामोश है लेकिन किसी का दिल तो जलता है
चले आओ जहाँ तक रौशनी मा'लूम होती है
the lamp's extinguised but someone's heart
नुशूर वाहिदी